विद्युत की प्रकृति एवं अवधारणा(Nature and Concept of electricity)
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चित्र अ |
Electricity kya hai? विद्युत की प्रकृति (Nature of electricity) को समझने के लिए प्रदार्थ के संरचना का अध्ययन करने की आवश्यकता है| प्रदार्थ के आधुनिक इलेक्ट्रॉन सिद्धांत (Modern Electron theory of matter) के अनुसार इस ब्रह्मांड में हर पदार्थ (Matter) बहुत छोटे-छोटे कणों से मिलकर बना है, जो अणुओं (molecules) के रूप में जाना जाता है।
परमाणु (atom)
अणु भी छोटे-छोटे कणों से मिलकर बना होता है जिसे परमाणु (atom) कहते है |
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चित्र ब (परमाणु संरचना) |
- परमाणु ,तत्व (element) का सबसे छोटा कण(particle) होता है| चित्र ब में देखे,चित्र में परमाणु संरचना(Atomic Structure) को दर्शाया गया है |
- प्रत्येक परमाणु में एक केन्द्रीय भाग होता है जिसको नाभिक (nuclear) कहते है|
- नाभिक , धनात्मक (positive) प्रोटोन और उदासीन (Neutral) न्यूट्रोन से मिलकर बना होता है |
- नाभिक का आकार (10-14 m कोटि ) परमाणु की अपेक्षा बहुत छोटा होता है |
- परमाणु में बहुत सारे इलेक्ट्रान भी होते है जो नाभिक के चारो ओर भिन्न-भिन्न कक्षों (paths or Orbits) में घुमते है| इनपर आवेश (charge) ऋणात्मक (negative) होता है |
- न्यूट्रोन और प्रोटोन का द्रव्यमान (Mass) लगभग इलेक्ट्रान के द्रव्यमान का 1837 गुना होता है जबकि न्यूट्रोन का द्रव्यमान प्रोटोन के द्रव्यमान के बराबर होता है|
- सामान्य परिस्तिथि (normal state ) में परमाणु में इलेक्ट्रान की संख्या प्रोटोन की संख्या के बराबर होती है इसलिए परमाणु सामान्य स्तिथी में उदासीन होता है क्योकि परमाणु में प्रोटोनों का पूरा धनात्मक आवेश समान इलेक्ट्रानों के ऋणात्मक आवेश के द्वारा समाप्त हो जाता है |
इस प्रकार हम कह सकतें है की प्रदार्थ विद्युतीय रूप से (Electrically) उदासीन होता है |
कोई पिंड आवेशित है या नहीं ,यह बात इलेक्ट्रान तथा प्रोटोन की संख्या पर निर्भर करती है|
1.यदिकिसी पिंड पर प्रोटोन की संख्या इलेक्ट्रान की संख्या के बराबर होती है तो उसपे कुल आवेश शुन्य होता है इसलिए उस पिंड को विद्युतिय रूप से उदासीन कहते है|
2.यदि किसी उदासीन पिंड से इलेक्ट्रान निकल जाता है तो उसपे इलेक्ट्रान की कमी होने के कारण वह धनात्मक आवेशित हो जाता है क्योकि प्रोटोन की संख्या इलेक्ट्रान की संख्या की अपेछा ज्यादा होती है |
3.यदि उदासीन पिंड को और इलेक्ट्रान दिया जाये तो पिंड में इलेक्ट्रान की अधिकता के कारण पिंड पर आवेशऋणात्मक हो जाता है क्योंकि पिंड में इलेक्ट्रान की संख्या प्रोटान से ज्यादा हो जाती है |
- परमाणु में इलेक्ट्रान नाभिक से बंधे होतें है क्योंकि इलेक्ट्रान और नाभिक के विपरीत आवेशित होने के कारण नाभिक इलेक्ट्रानों को अपनी ओर आकर्षित करता है |
- ये आकर्षण बल नाभिक से सबसे निकट के इलेक्ट्रानो के बिच सबसे अधिक होता है और बिच की दूरी बढ़ने के साथ-साथ कम होता चला जाता है|
- इलेक्ट्रान का द्रव्यमान प्रोटान के द्रव्यमान की अपेछा बहुत कम होता है इसलिए इलेक्ट्रान ,प्रोटान की अपेछा अधिक गतिशील होता है |
इलेक्ट्रान पर आवेश= –1.6021765 × 10-19coulombs.
प्रोटोन पर आवेश = +1.6021765 × 10-19coulombs.
न्यूट्रोन पर आवेश शुन्य होता है |
इलेक्ट्रान का द्रव्यमान =9.10938356 × 10−31kg
प्रोटोन का द्रव्यमान = 1.6726 x 10-27 kg
न्यूट्रोन का द्रव्यमान = = 1.6749 x 10-27 kg